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सब ऐशो आराम से जुदा हो गया , जब से मैं शादी शुदा हो गया by Kuldeep Prakash | Magical Pen Section

सब ऐशो आराम से जुदा हो गया , जब से मैं शादी शुदा हो गया by Kuldeep Prakash | Magical Pen Section

सब ऐशो आराम से जुदा हो गया ,
जब से मैं शादी शुदा हो गया.

पहले का इतवार कितना बेफिक्र था ,
सुबह से शाम था , बस आराम ही आराम था।
अब तो इतवार का भी बुरा हाल है ,
कभी यह तो कभी वो shopping mall है
वो प्यारा सा sunday जाने कहाँ खो गया,
जब से मैं शादी शुदा हो गया।

बीवी की फरमाइश की है फेरिस्त बड़ी ,
जेब में ना बचती अब एक फूटी कौड़ी ,
नित नए खर्चो से मचा जैसे हाहाकार है,
बीवी तो मानो गोडसे की कोई रिस्तेदार है ,
डर के जिससे जेब का हर गांधी हवा हो गया ,
जब से मैं शादी शुदा हो गया।

सुबह देर तलक सोने का शौक था ,
कहीं आने जाने पर ना कोई टोक था ,
अब तो यह इंतिहा ही जरूरी है ,
हर बात में बीवी की मंजूरी है ,
शुरू इजाजत लेने का सिलसिला हो गया ,
जब से मैं शादी शुदा हो गया।

कुछ इस तरह उसके नाज उठता हूँ मैं ,
फटी कमीज पहन उसकी साड़ी press करवाता हूँ मैं ,
जिसने उठाया नहीं खुद के लिए पानी का गिलास कभी ,
अब अक्सर उसके लिए चाय भी बनाता हूँ मैं ,
यह निकम्मा सा लड़का , आदमी काम का हो गया ,
जब से मैं शादी शुदा हो गया।

Kuldeep Prakash

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